चीन न सिरफ इंसानियत का दुश्मन है वो मासूम चिड़ियां का भी गुनाहगार है। वैज्ञानिकों के अनुसार गौरैया की कुल ४३ प्रजातियां मिली हैं। भारत एक ऐसा देश है जहां पर पक्षियों की बहुत सारी प्रजातियाँ पाई जाती है जिनमें गौरैया का विशेष महत्व है। गौरैया दिखने में सुंदर और छोटी होती है। गौरैया को अक्सर हमने अपने घरों और पेड़ पौधों पर देखा होगा। लेकिन आज के समय में पेड़ों कि कटाई व कीट नाशक पदार्थों के छिड़काव के कारण यह विलुप्त होती जा रही है। यह एक ऐसी प्रजाति है जिसे सभी जगह पर अलग अलग नाम से जाना जाता है जिनमें चिड़िया, चिमनी, चिड़ी आदि इनके नाम प्रसिद्ध हैं।

आज से नही बल्कि बचपन से दादी,बाबा से सुनते अ रहे चिड़ियों की कहानिया जिसमे गौरैया जो हम सबकी प्रिय चिड़िया हुआ करती हैं आज हमे देखने को नही मिलती हैं।

एक रिसर्च के मुताबिक करीब पहले के मुकाबले ६० प्रतिशत तक कम हो गई है। गौरया २१वीं सदी के आधुनिक जीवन शैली और पर्यावरण के प्रति उदासीनता की वजह से गायब हो रही हैं। आधुनिक बनावट वाले शहरों में जहां पेड़ों की कमी होने की वजह से गौरैया अब घोंसला बनाने की जगह नहीं मिल पाती है।

गोरैया एक छोटी चिड़िया है। यह हल्की भूरे रंग या सफेद रंग में होती है। इसके शरीर पर छोटे-छोटे पंख और पीली चोंच व पैरों का रंग पीला होता है। नर गौरैया के सिर का ऊपरी भाग, नीचे का भाग और गालों पर पर भूरे रंग का होता है।

नर गौरैया की पीठ का रंग लाल होता है और मादा गौरैया की पीठ पर भूरी धारियां होती है। गौरैया की लम्बाई १५-१७ सेंटीमीटर तक होती है इनके पंख छोटे होते है गौरैया अनाज के दाने,हानिकारक कीड़े,फल,फलों के बीज अपने भोजन के रूप में लेती है। वैज्ञानिकों के अनुसार गौरैया की कुल ४३ प्रजातियां मिली हैं।

भारत एक ऐसा देश है जहां पर पक्षियों की बहुत सारी प्रजातियाँ पाई जाती है जिनमें गौरैया का विशेष महत्व है। गौरैया दिखने में सुंदर और छोटी होती है। गौरैया को अक्सर हमने अपने घरों और पेड़ पौधों पर देखा होगा। लेकिन आज के समय में पेड़ों कि कटाई व कीट नाशक  पदार्थों के छिड़काव के कारण यह विलुप्त होती जा रही है। यह एक ऐसी प्रजाति है जिसे सभी जगह पर अलग अलग नाम से जाना जाता है जिनमें चिड़िया, चिमनी, चिड़ी आदि इनके नाम प्रसिद्ध हैं।

रहन-सहन और निवास:

अधिकतर गौरैया को  हम अपने घरों की छतों और आस पास के पेड़-पौधों पर देखते हैं। यह वातावरण का एक मुख्य भाग है। यह इंसानों के घरों और पेड़-पौधों पर अपना घोसला बनाकर रहती है।

प्रजनन काल के दौरान मादा गौरैया एक बार में ३से ४अंडे देती है जो छोटे और सफेद रंग के होते है। यह अंडे २० दिन होने बाद बाहर निकल आते है। गौरैया की चीं-चीं की आवाज सुनने में मधुर होती है। और यह बहुत ही सुंदर पंछी हैं।

अब हम गौरैया दिवस भी मानते हैं सन् २०१० में पहली बार २० मार्च को विश्व गौरैया दिवस मनाया गयाl इसके बाद हर साल २०मार्च को यह दिवस मनाया जाने लगा।

गौरैया की शहरों में कम होती संख्या का मुख्य कारण बड़ी बड़ी इमारतों में उसके रहने के लिए पुराने घरों की तरह जगह नहीं मिल पाती। वहीं आज की सुपरमार्केट संस्कृति के कारण पंसारी की दुकानें भी घट रही हैं। जिससे गौरैया को दाना नहीं मिल पाता है। जगह जगह बन रहे ५ जी टॉवर के वजह से भी इनकी मौत हो रही जिससे गौरैया दर कम हो रही है।

गौरैया खतम होने की एक  सबसे  बड़ी वजह ये भी हैं कि 
सन् १९९८में चीन ने में एक ऐसा अभियान शुरू किया गया जो आज भी पर्यावरण के लिए कलंक है जब माओ ने फैसला किया था कि उनके देश में गौरैया जैसे पक्षी नहीं रहेंगे जो बीमारी फौलाती है।

माओ के इस फैसले का असर तीन साल बाद नजर आया जब ४५ मिलियन चीनी नागरिकों की मौत हो गईl चीन में गौरैया मारो कैंपेन को लॉन्‍च किया गया इनके मारे जाने पर अच्‍छा-खासा इनाम भी घोषित किया गया l माओ ने गौरैया मारने का आदेश फोर पेस्‍ट्स कैंपेन के बाद लिया  इस कैंपेन के तहत गौरैया के अलावा ४ प्रकार के जानवरों को मारा जाना थाl प्‍लेग फैलाने वाला चूहा,मलेरिया के लिए जिम्‍मेदार मच्‍छर और हैजा फैलाने वाली मक्खियों को ख़तम किया गया जब -जब २० मार्च आता है तब-तब गौरैया दिवस पर चीन की ये हरकत याद आती हैं जो दिल दहलाने वाली थी।

माओ को यह जनकारी मिली कि गौरैया अनाज के दाने और बीज खा जाती हैं जिसे  सुनने के बाद माओ ने लोगों को गौरैया मारने का आदेश सुनाया इसे ग्रेट स्‍पैरो कैंपेन नाम दिया गया। इस कैंपेन के दौरान कई लाख गौरैया मारी गईं। जिस तरह से इन्‍हें मारा गया वो बहुत ही दर्दनाक था। लोग इतनी दूर तक इनके पीछे दौड़ते और इस कदर इनका पीछा करते थे। कि बेचारी गौरैया थक कर आसमान से गिर जाया करती सन् १९६०आते-आते ग्रेट स्‍पैरो कैंपेन गंभीर हो गया और गौरैया धीरे-धीरे कम होती गई आज गौरैया पूरी तरह खतम होने के कगार पर हैं। 
One thought on “विलुप्त हो गई गौरिया चिड़िया..आज कितने लोगो को दिखती है ?”

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